त्रिलोक से न्यारी मायापुरी
हिम का प्रवेश द्वार है
ख्याति दिग्-दिगन्त व्याप्त
नाम हरिद्वार है!
पुरी ज्ञान का केन्द्र युगों से
शिव-पार्वती का वास है
ऋषि-मुनि तप स्थली
और गंगा का द्वार है!
ब्रह्म तीर्थ ब्रह्मकुण्ड यहाँ पर
कण-कण धरा पवित्र है!
उत्तरांचल का स्वनामधन्य है
उज्ज्वल इसका चरित्र है!
तीर्थ स्थल सृष्टि का कनखल
आदि तीर्थ यहां पर स्थित
सती पिता दक्ष प्रसिध्द है ।
ब्रह्माण्ड का है मध्यबिन्दु
गंगा की कृपा अपार है!
है सप्त ऋषियों की पर्णकुटी
प्रमाणित सात धार है!
हुआ था गंगा-आगमन
सप्त पदी विख्यात है!
आई कल कल, उच्छल, छल छल
शुभ पग पुण्य शुभ कर्म प्रमाण है !
सृष्टि के तीनों संचालक गंगा परम प्रिया
श्रद्धास्पद धरती यहां मायापुरी मोक्षद्वार है!
तीन लोकों में यहाँ जैसा
नहीं अद्भुत कोई नजारा है
रहस्य कितने गर्भ छिपे
स्कन्द पुराण बताता है
मैं बड़भागी पुण्य की लोभी
लिखूँ तेरा गुण गान करूंगी!
जन्म सफ़ल सेवा मे तेरी माँ
तेरा बस तेरा ही ध्यान करूंगी!
डॉ मेनका त्रिपाठी