जेठ शुरू हो गया है, तापमान दूध उफान की तरह खौल रहा, हलक सूखते प्राणी त्राहि माम करते हैं अधिक सर्दी या अधिक गर्मी दोनों से बचने के स्वार्थी उपाय हमारी सभ्यता के पास मौजूद है पर बढ़ते तापमान के परिणाम घातक हो सकते हैं, क्या ये खतरा सबका नहीं मैं कुछ प्रमुख प्रभावों पर आप सबका ध्यान खींचना चाहती हूं हैं:

जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जो विभिन्न प्रकार की आपदाओं का कारण बन सकता है, जैसे कि बाढ़, सूखा, और अत्यधिक तूफान। इन आपदाओं के परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है।

खराब वन्यजीव और जैव आवास:
बढ़ते तापमान के कारण जंगलों में जीवों के लिए अधिक अशांति और आवास की गुणवत्ता में कमी हो सकती है,पानी की खोज में तेंदुए गांवों में आ रहे हैं या चीतल नील गाय सब व्याकुल है, उनके क्षेत्रो पर क़ब्ज़ा कर स्वार्थ खुद भस्मासुर की तरह मरने की तैयारी कर रहा! वन्यजीवों की संख्या कम हो रही है और उनका प्रजनन कम होता है।हम इस स्थिति को क्यों नहीं देख पा रहे!

समुद्री विनाश: तापमान में वृद्धि के कारण समुद्री तटों पर अत्यधिक प्रभाव हो सकता है, जैसे कि समुद्री स्तर में बढ़ोत्तरी, गंभीर तूफान, और समुद्री जीवों के प्राकृतिक आवासों के नाश ज़न धन हानि इनका कारण ग्लोबल वार्मिंग भी तो है!

फसल की नुकसान: गर्मियों में तापमान के बढ़ने से खेती की फसलों को भी नुकसान हो सकता है, जो खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और उत्पादन में कमी का कारण बन सकता है।बल्कि हो रहा है, जल स्तर का घटना इसका प्रमुख कारण है!

जल संकट: जल संकट भी एक बड़ा परिणाम हो सकता है, क्योंकि अधिक तापमान के कारण जलस्रोतों की कमी हो सकती है और उनके प्रदायकता में कमी हो सकती है।इन प्रभावों से सावधान रहना महत्वपूर्ण है और समुदायों को पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति सक्षम और संवेदनशील बनने की आवश्यकता है।

मेनका त्रिपाठी

संयोजिका, प्रकृतिवाद लेखक संघ उत्तराखण्ड इकाई

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