आज अक्षय तृतीया है, अक्षय यानि जो भी शुभ कर्म और दान किया जाए उसका पुण्य कभी क्षय न होता चाहे पुण्य कर्म हो या पाप वह सैकड़ों गुना प्रतिफलित होता है, यूँ तो आज के दिन का इतिहास विस्तृत है पर आज कनक धारा स्त्रोत की महिमा का वर्णन कर रही हूँ!
पूरे 18 मंत्रों से बँधा हुआ य़ह स्त्रोत अपार सुख स्वास्थ्य धन की वर्षा करता है, हम दरवाज़े पर शुभ के साथ ही लाभ चाहते हैं, आज कोरोंना युग मे चाहती हूँ सब पर आरोग्य लक्ष्मी कृपा करें!
कनकधारा स्तोत्र का शास्त्रों में बेहद खास माना जाता है चूंकि मनुष्य की अधिकांश परेशानियां धन से जुड़ी होती हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा एक ऐसे ही मंत्र की रचना की गई थी, जिसके सही और नियमित उच्चारण से मां लक्ष्मी कृपा करती है ।
कहते हैं, 18 श्लोक के इस स्तोत्र का पाठ करते-करते शंकराचार्य जी के अश्रु किसी झरने की तरह बहने लगे। जैसे ही स्तोत्र का खत्म हुआ तुरंत वहां स्वर्ण की वर्षा होने लगी। तब माता महालक्ष्मी पुन: प्रकट हुईंं और बोली शंकर तुमने इस स्तोत्र का निमार्ण कर जगत का कल्याण किया है कनकधारा स्तोत्र द्वारा एक गरीब के घर में धन वर्षा करवाई है इसका महत्व कभी भी नहीं कम होगा ।
चलिए आपको इस विषय में एक कथा जो सुनी आपको सुनाती हूँ तो हुआ यूँ कि एक बार जगदगुरु शंकराचार्य भिक्षा के लिये एक दरिद्र के घर पहुंचे, उस घर में एक वृद्ध स्त्री रहती थी, वृद्धा ने भिक्षा के लिये आये शंकराचार्य को एक सूखा आंवला दिया और बडे ही करुण स्वर में बोली बेटा मेरे काफी ढूंढने पर भी मुझे सिर्फ यह सूखा आंवला ही मिला इसे ग्रहण करो।
शंकराचार्य ने उस वृद्ध स्त्री की स्थिति देखी तो रो उठे उन्होंंने तत्काल माता महालक्ष्मी का आवाह्न किया आवाह्न करने पर माता महालक्ष्मी प्रकट हुई और कहा शंकर में इसकी दरिद्रता दूर नहींं कर सकती। इसके भाग्य में धन नही है, इसके कर्म ही इसकी दरिद्रता का कारण हैं, यह कहकर महालक्ष्मी अंतर्ध्यान हो गईंं। लेकिन शंकराचार्य उस वृद्धा की दरिद्रता दूर करने के लिये संकल्पबद्ध थे। उन्होने तुरंत विह्ल भाव से कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना आरम्भ कर दिया।
और इस सिद्ध मंत्र से स्वर्ण वर्षा होने लगी वहीं दिन शुक्रवार भी माँ लक्ष्मी दयालुता के साथ शुभ लाभ हमारे सभी देश वासियों पर मित्रों के पास आए कामना करती हूँ!
माँ शुभ करे कल्याण करे, आरोग्य के साथ धन संपदा लाए!
डॉ मेनका त्रिपाठी