गंगा वार्तालाप
सुन्दर गंगा से सुन्दर कुछ नहीं है! नील वसन , उज्जवल वेशझरने ज्यों लहराते केशभर…
Read Moreसुन्दर गंगा से सुन्दर कुछ नहीं है! नील वसन , उज्जवल वेशझरने ज्यों लहराते केशभर…
Read Moreगंगा तुम्हारी नगरी मेंलगी हुई है भीड़नगरी नगरी न रहीकहते इसको तीर्थ कुकर्मों की पोटलीलोग…
Read Moreत्रिलोक से न्यारी मायापुरीहिम का प्रवेश द्वार हैख्याति दिग्-दिगन्त व्याप्तनाम हरिद्वार है! पुरी ज्ञान का…
Read Moreरात तिमिर था बहुत ही गहरातिस पर रहता भय का पहरागंगा तुम भी शिथिल पड़ी…
Read Moreजेठ शुरू हो गया है, तापमान दूध उफान की तरह खौल रहा, हलक सूखते प्राणी…
Read Moreप्रकृति के साथ हमारा संबंध विश्वास योग्यता और सामर्थ्य का प्रतीक है। जब हम प्रकृति…
Read Moreविचार ” निलय जी ने कहा कि अपनी अन्तर्यात्रा करें, बुद्धि के स्तर पर आत्म…
Read Moreप्रकृतिवाद प्रकृति वाद विचारधारा का मुख्य ध्येय है कि हमें प्रकृति के साथ संतुलित और…
Read Moreआज दिनांक 16 जुलाई 2020 गुरु कृपा और ईश्वर अनुकम्पा से आज अपने पेज को…
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