धृ शब्द से धर्म शब्द की उत्पत्ति हुई है! धर्म का अर्थ है धारण करना! वैदिक सभ्यता भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान रही है! वेद पुराण में धर्म का उज्जवल स्वरूप और सकारात्मक स्वरुप का ही वर्णन हुआ है! वर्तमान युग तो वैज्ञानिक युग है! धर्म के प्रति अरुचि एक आम बात समझी जाती है, जबकि वह जड़ों से उपजी हुई मान्यता है! धर्म को मात्र एक पाखंड अंधविश्वास संप्रदायिकता की भावनाओं से अवगत एक संकीर्ण विचारधारा के रूप में बिल्कुल नहीं देख सकती, प्रत्येक वेद पुराण में 10 अवतारों का वास्तविक और वैज्ञानिक रूप मानव जीवन की सतत उन्नति से जुड़ा हुआ है! एक अवतार हनुमानजी भी हुए पर बिना उनको समझे जाने कोई उनसे कैसे जुड़ सकता है, केवल मन्दिर में जाकर अपने स्वार्थ के लिए उनको एक लड्डू चढ़ाना यह पतासे का भोग लगा देना पूजा होता है!
हम सब ने मंदिरों मे हनुमान जी के पांच मुख देखे होंगे लेकिन क्या है पांच मुख का रहस्य, बिना जाने समझे किसी परंपरा को अंधविश्वास की तरह नहीं निभाना चाहिए! वरन उसकी जड़ में जाकर उसे गहराई से समझ बूझ के साथ धारण करना चाहिए! यदि हम उसे अपने जीवन में धारण करें तो मनुष्य इस विकास क्रम में अपनी बुद्धि के साथ-साथ ईश्वर का सानिध्य अवश्य प्राप्त करता है!
#पांच मुख का #रहस्य
जैसा कि हम देखते हैं हनुमानजी की पंचमुखी मूर्ति होती है जिसमें हनुमान जी के पांच मुख दिखाए गए हैं उत्तर में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख एक मुख ऊपर है आकाश की ओर और पूर्व में है हनुमानजी का रूप! इन पांचों मुख मे वराह मुख् सुख समृद्धि को दर्शाता है! और नरसिंह रूप भय को उत्पन्न करता है! गरुड़ उनकी वायु गमन शक्ति को प्रदर्शित करता है! तथा आकाश की ओर उठा मुख ज्ञान प्राप्ति की ओर ध्यान दिलाता है!
पांच मुख के पीछे हैं दो दंत कथाएं या पुराण गाथाएं
#प्रथम कथा
पहली कथा इस प्रकार है कि जब राम और रावण के मध्य भयंकर भीषण युद्ध चल रहा था! तब रावण अपने मायावी भाई अहिरावण की शरण में जाता है! अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था! साथ ही तंत्र-मंत्र का ज्ञाता भी था! वह माया द्वारा निद्रा मोहिनी शक्ति से राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले जाता है! विभीषण चूंकि राम के पक्ष में थे! वह हनुमान जी को कहते हैं कि वह पाताल जाएं और राम और लक्ष्मण की बलि देने से पहले उन को मुक्त कराएं! जब हनुमान पाताल पहुंचते हैं तो उन्हें अपना पुत्र मकरध्वज भी मिलता है! उसे हराकर राम और लक्ष्मण को वह पाश में बँधा हुआ पाते हैं! वहां पर कहते हैं कि 5 दिए जल रहे थे जो मां भवानी के लिए जले रहते थे और ऐसा कहा जाता था कि जो भी व्यक्ति उनको एक साथ बुझा देगा तभी अहिरावण का वध होगा! हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण कर कर एक साथ दिए बुझा दिए थे और अहिरावण को मारकर राम और लक्ष्मण को बंधन से मुक्त कराया था! इस कथा के पीछे बहुत बड़ी आध्यात्मिक रहस्य छिपा हुआ है, जिसका गूढ़ अर्थ है, मूढ वैसे भी गूढ़ अर्थ कहाँ ढूंढते है!
दूसरी कथा भी बड़ी मजेदार है कहते हैं एक राक्षस था! नाम तो मरियल पर य़ह मरियल हमेशा हंसता मुस्कुराता था दूसरों को कष्ट देकर और दूसरों को सताने मे इसे बड़ा आनंद आता था, ढेर शरारती मरियल इच्छा धारी था कहते हैं भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुरा लिया! अब विष्णु जी परेशान तब हनुमानजी ने प्रण किया कि मैं सुदर्शन चक्र वापस लाऊंगा! क्योंकि हनुमान जी के पांच मुख थे और वह भी रूप बदल सकते थे, दोनों टक्कर के अब पकड पकड़ा इ शुरू होती है हनुमानजी जैसे ही पकड़ना चाहते वह फौरन कोई ना कोई रूप धारण कर कर भाग जाता था हनुमान जी ने उसे हराने के लिए पांच रूप धरे और इन पांचों रूप द्वारा उसको वश में किया और सुदर्शन चक्र विष्णु भगवान को वापस किया!
आज का दिन मंगलवार हनुमान जी के सान्निध्य का दिन है आइए आज के दिन हम अपने धर्म के मूल स्वरुप को पहचाने और अधिक सनातन परंपरा और संस्कृति पर गर्व करें!
डॉ. मेनका त्रिपाठी
हरिद्वार , उत्तराखण्ड