आज दिनांक 16 जुलाई 2020 गुरु कृपा और ईश्वर अनुकम्पा से आज अपने पेज को आप सब के सामने ला पाई हूँ, यूँ तो Facebook को भी बहुत सकारात्मक रूप से प्रगति का आधार बना पाई हूँ सब सीखते गुणते आज की स्थिति में स्वयं को साहित्य के प्रति अनुगृहीत मानती हूँ!
मैं स्वीकार करती हूँ कि लिखने वाला उपदेश देता प्रतीत होता है मगर लिख कर व्याप्त विषमताओं, कुरीतियों, और भावनाओं को भी यदि वह आपके समक्ष ले आता है तो वह समय का सदुपयोग ही कर अपना देश प्रेम, साहित्य प्रेम कर सकता है वह चिंगारी की तरह आग भड़का सकता है सैकड़ों उद्धरण सैकड़ों कहानियों में य़ह जागरूकता आई थी आई है और आ सकती है!
शब्द सृजन और सम्वाद माध्यम से मेरी छोटी सी भूमिका आप सबका सहयोग प्राप्त कर एक ज़न चेतना का आधार बने ऐसा स्वप्न मैं देख रही हूँ, मन का उत्साह कहा करता कि ऐसा ही होगा!

अपने इस पेज पर मैं साहित्यिक मित्रों के सुझाव, आमंत्रित करना चाहती हूँ साथ ही सप्ताह के दिवस क्रम से विषय प्रस्तुत करती रहूंगी!

आज इतना ही

डॉ मेनका त्रिपाठी

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